Monday 21 September 2009

जे काम का तुम्हारो बाप करैगो ?

मुश्किल जी है कि अब हर आदमी अपनी अपनी जिम्मेदारियन से बचवें चाहतै. लोग-बाग जी चाहन लगे हैं कि बैठे -बिठाये सबई कछू मिल जाय, काम -काज धेला भर कौ नायं करवें परै.

कोई कोई तो ऐसेऊ आलसी दिखाई परत हैं कि बैठे बैठे इंतज़ार कर रये हैं कि कोऊ आवे और कौर म्हों में डार दे.
हर कोऊ मुफत की ही खानो चाह रहो है.
अब जी नीचे वारी तस्वीर देखौ ज़रा. जो आदमी सडक पे लाइन खींच रहो,वाने देखौ कि एक टूटी भई डाल व्हन पे डरी है. अब कौन हिलाय वाकों?
तो इननें तरकीब का निकारी , देखो ज़रा -




मूल सामग्री साभार : चित्र - सुरेश बाबू , पोस्ट- जाने भी दो यारो!

4 comments:

विवेक सिंह said...

सई कै रएऔ जी आप ! पर का करैं ?

महेन्द्र मिश्र said...

वाह वाह बाप नहीं जी जे काम बऊ करैगो हा हा आनंद आ गया सर

Udan Tashtari said...

हा हा!! मजा आया!

डा.अरविन्द चतुर्वेदी Dr.Arvind Chaturvedi said...

@ विवेक सिंह जी,
ऐसें नायं चलेगौ साब, कछू तो करबेईं पड़ेगो.
@ महेन्द्र मिश्र जी,
हमऊ देक्खत हैं कि सारौ कब तक करेगो कामचोरी.
अभै नायं तो बाद में करेगो.
@ समीर लाल जी,
आप नहीं भूले. आभार .