कोई कोई तो ऐसेऊ आलसी दिखाई परत हैं कि बैठे बैठे इंतज़ार कर रये हैं कि कोऊ आवे और कौर म्हों में डार दे.
हर कोऊ मुफत की ही खानो चाह रहो है.
अब जी नीचे वारी तस्वीर देखौ ज़रा. जो आदमी सडक पे लाइन खींच रहो,वाने देखौ कि एक टूटी भई डाल व्हन पे डरी है. अब कौन हिलाय वाकों?
तो इननें तरकीब का निकारी , देखो ज़रा -

मूल सामग्री साभार : चित्र - सुरेश बाबू , पोस्ट- जाने भी दो यारो!
4 comments:
सई कै रएऔ जी आप ! पर का करैं ?
वाह वाह बाप नहीं जी जे काम बऊ करैगो हा हा आनंद आ गया सर
हा हा!! मजा आया!
@ विवेक सिंह जी,
ऐसें नायं चलेगौ साब, कछू तो करबेईं पड़ेगो.
@ महेन्द्र मिश्र जी,
हमऊ देक्खत हैं कि सारौ कब तक करेगो कामचोरी.
अभै नायं तो बाद में करेगो.
@ समीर लाल जी,
आप नहीं भूले. आभार .
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