सोचते समय कुछ लोग दिल से काम लेते हैं और कुछ दिमाग से.
बात जब 'इमोशनलात्मक' हो जाये ,तो ज़ाहिर है कि 'दिल का मामला है'
ज्ञानी धानी लोग कम अनुभव वालों को सीख दिया करते है कि 'दिल पे मत ले यार'.
'अगर दिल हमारा शीशे के बदले पत्थर का होता' तो हम कई ऐसी बातें भी हज़म कर जाते तो हमारे दिल को चोट पहुंचाती हैं.
हां, तो ये तो थी सिर्फ भूमिका. मुख्य प्रश्न यह है कि दिल चीज़ क्या है ?
कहां होता है दिल ?
क्या सबका दिल एक ही जगह पर होता है?
ज़ाहिर है कि इन सभी सवालों का एक ही ज़वाब है कि दिल तो आखिर दिल ही होता है?
सभी का दिल छाती पर बांयी तरफ हो ता है.
इस पर इतना बावेला क्यों
अब आइये ज़रा इस फोटो पर गौर करें,पहचान? रहे हैं ना ?
देखा ? इनका दिल कहां है?
Friday 11 April 2008
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