Thursday 22 September 2011

महंगौ है गयौ तेल ( ब्रज भाषा का गीत)

फिर तें महंगौ है गऔ तेल, कार में अब नांय बैठौंगो
अब नांय बैठौंगो , कार में अब नांय बैठौंगो
फिर तें महंगौ है गऔ तेल, कार में अब नांय बैठौंगौ.


तेल कौ पैसा मोपे नांय,
अब हमें कौउ पूछत नांय,
कार अब हमें सुहावत नांय
देख देख कें कुढ़ों जाय में कैंसे बैठौंगो ?
फिर तें महंगौ है गऔ तेल, कार में अब नांय बैठौंगो




संग मेरे ठाड़ी गूजरिया,
पहन के धानी चूनरिया,
के पिक्चर ले चल सांवरिया
पैदल कैंसे जांऊ मैं पिक्चर घर ई बैठौंगो,
फिर तें महंगौ है गऔ तेल, कार में अब नांय बैठौंगो

चीख रये सब टीवी अखबार,
बढ़ गयी महंगाई दस बार,
जे गूंगी बेहरी है सरकार
जनता बिल्कुल्ल है लाचार,
देश में मच गऔ हाहाकार
दफ्तर मेरो दूर, मैं रस्ता कैसे पाटौंगौ ?
फिर तें महंगौ है गऔ तेल, कार में अब नांय बैठौंगो



कि नेता मज़े करें दिन रात ,
विन्हे महंगाई नांय सतात,
कीमतें फिर फिर हैं बढ़ जात,
अबकी बारी सोच लयौ है वोट ना डारोंगौ
फिर तें महंगौ है गऔ तेल, कार में अब नांय बैठौंगो


अब नांय बैठौंगो,कार में अब नांय बैठौंगो
फिर तें महंगौ है गऔ तेल, कार में अब नांय बैठौंगौ

डा. अरविन्द चतुर्वेदी