Tuesday 23 October 2007

कवि सम्मेलन के मुख्य अंश

गत वर्ष की भांति इस वर्ष भी इंटर्नेशनल मेनेज्मेंट इंस्टीटुयूट ( IMI ) नई दिल्ली में छात्रॉं के प्रयास से एक कवि सम्मेलन आयोजित किया गया. क़वि सम्मेलन की रिकौर्डिंग का प्रथम भाग यहां प्रस्तुत है. चूंकि यह ब्लोग अभी नया है और एग्ग्रीगेटर पर पंजीकृत नही है, अत: यह रिकौर्डिंग मेरे दूसरे ब्लोग भारतीयम पर भी उपलब्ध है.आनन्द लीजिये.
( इस भाग में आठ फाइल्स हैं, एक एक करके खोलते जाइये और काव्य सन्ध्या का लुत्फ उठाइये )
इस कवि सम्मेलन में भाग लेने वाले कवि : सर्वश्री पंडित सुरेश नीरव ( संचालक ), अरविन्द पथिक, डा.अंजू जैन,अरविन्द चतुर्वेदी, प्रभाकिरण जैन,महेन्द्र शर्मा .





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कवि सम्मेलन

कवि sammelan

Wednesday 3 October 2007

अक्ष

Thursday 27 September 2007

"अक्ष' संस्था द्वारा आयोजित पुस्तक लोकार्पण एवम पुरस्कार समारोह्









साहित्यिक व सांस्कृतिक संस्था ‘ अक्ष’ की ओर से अणुव्रत भवन सभागार ( नई दिल्ली) में 11 अगस्त (शनिवार) को साहित्य शिरोमणि प. दामोदर दास (दादा) चतुर्वेदी की 96 वीं जयंती के अवसर पर दिल्ली की अनेक समाजसेवी विभूतियों को सम्मनित किया गया एवं कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. समारोह के मुख्य अतिथि दिल्ली सरकार के वित्त मंत्री डा. अशोक वालिया, विशिष्ट अतिथि माथुर चतुर्वेदी महासभा के अध्यक्ष श्री भरत चतुर्वेदी थे. समारोह में आशिर्वचन हेतु विशेष रूप से सांसद उदय प्रताप सिंह एवम उत्तर प्रदेश सरकार के रोज़गार मंत्री यशवंत सिह भी उपस्थित थे .समारोह की अध्यक्षता प्रसिद्ध कवि एवं कादम्बिनी के मुख्य कौपी सम्पादक श्री सुरेश नीरव ने की,जो स्व.दादा चतुर्वेदी के सुपुत्र हैं.



दिल्ली के साहिय प्रेमी इस आयोजन में भारी संख्या में पधारे .उपस्थित श्रोता समुदाय ने कवि सम्मेलन का भी आनन्द लिया.इस अवसर पर पधारे गण्यमान अतिथियों में दिल्ली सरकार के वित्त एवं योजना मंत्री डा. ए.के.वालिया, उत्तर प्रदेश सरकार के रोज़गार मंत्री डा. यशवंत सिंह, संसद सदस्य प्रो.उदय प्रताप सिंह् ने स्व. दादा चतुर्वेदी को श्रद्धांजलि देते हुए उनके योगदान को याद किया.

इस सम्मान समारोह के अवसर पर विभिन्न वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त करते हुए साहित्य शिरोमणि दामोदर दास (दादा)चतुर्वेदी जैसी विभूतियों की स्मृति बनाये रखने का आग्रह किया ताकि समाज में चेतना का निरंतर प्रवाह होता रहे.

इस अवसर पर सम्पन्न कवि सम्मेलन में प्रो. उदय प्रताप सिंह ने दादा चतुर्वेदी के पत्रकारिता में किये योगदान की प्रसंशा करते हुए चन्द्रशेख्रर् आज़ाद् की जम्भूमि बदरका पर रचना प्रस्तुत की.उन्होने जनता से भी जागरूक रहकर एक प्रहरी की भूमिका निभाने की मांग की. साथ ही अपनी लोकप्रिय रचना ‘तुम हो पहरेदार चमन के’ से सबका मन मोह लिया. प्रो.अरविन्द चतुर्वेदी ने हास्य रचना - ‘में आपके सर्वेंट के सर्वेंट का सर्वेंट हूं ‘ सुनाकर रस परिवर्तन किया. ,पुरुषोत्तम वज्र( गज़ल- मां के हाथों के परांठे तिकोने याद आते हैं),डा. अंजू जैन ने सावन के अवसर् पर झूला गीत (आओ झूला झूलें) व गज़ल प्रस्तुत कीं, दिनेश वत्स ( हास्य-व्यंग्य), एवम अरविन्द पथिक ( वीर रस-शहीदों की मज़ार पर मेले ) ने अपनी सुमधुर रचनाओं से श्रोताओं को बान्धे रखा. सभागार में श्रोताओं ने कवियो की रचनाओं का भरपूर आनन्द लिया.



समारोह की अध्यक्षता कादम्बिनी पत्रिका के कौपी सम्पादक सुरेश नीरव ने की.इस अवस्र पर मुकेश परमार के उपन्यास ‘चक्रव्यूह और कृष्ण’ का लोकार्पण भी किया गया.

साहित्य शिरोमणि स्व. दादा चतुर्वेदी की 96वीं जयंती के अवसर पर दो आलेख भी प्रस्तुत किय गये,जिनमें दादा चतुर्वेदी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला गया. श्री केपी सिंह ने अपने आलेख मे स्व. दा दा चतुर्वेदी के आज़ाद हिन्द फौज़ के सैनिक रूप तथा बाद में विशाल भारत, सैनिक ,नौक-झौंक के पत्रकार के रूप मे दिये योगदान को प्रस्तुत किया.

इस अवसर पर समाज के विभिन्न वर्गों से प्रमुख व्यक्तियों को उनके योगदानों के लिये’ साहित्य शिरोमणि दादा चतुर्वेदी स्मृति सम्मान प्रदान किये गये. सम्मान पाने वालों में वीर चक्र प्राप्त कर्नल आर पी एस त्यागी( राष्ट्रीय सैनिक संस्थान ),डा. अतुल जैन ( शिक्षाविद ), ज्ञानेन्द्र चतुर्वेदी ( समाज सेवा),समीर मंडल ( चित्रकार), रजनी सिंह ( कवयित्री), अरविन्द पथिक ( वीर रस के कवि), सुश्री वीनू सचदेवा ( बाल शिक्षा), अशोक शर्मा ( समाज सेवा) शामिल थे.



दिल्ली सरकार के वित्त मंत्री डा. वालिया ने कहा कि स्व. दादा चतुर्वेदी जैसे सैनिक,पत्रकार व साहित्यकारों की बदौलत ही हमने आज़ादी पायी थी. उ.प्र. सरकार के रोज़गार मंत्री डा. यशवंत सिंह ने समाज में साहित्यकारो की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि इस समारोह में आने से मुझे भी साहित्य के प्रति अभिरुचि जाग्रत हुई है तथा में भी अब कविता लिखने का प्रयास करूंगा.

माथुर चतुर्वेदी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भरत चतुर्वेदी ने ‘अक्ष’ संस्था को धन्यवाद करते हुए कहा कि समाज के प्रेरणा श्रोतों की स्मृति बनाये रखने हेतु ऐसे कार्यक्रम आवश्यक हैं. अध्यक्ष पंडित सुरेश नीरव ने पुराणों से उदाहरण देकर संकल्प व लक्ष्य की महत्ता को रेखांकित किया. अक्ष संस्था के अध्यक्ष प्रो. अरविन्द चतुर्वेदी ने धन्यवाद ज्ञापन किया.

चित्र 1: सर्वश्री पंडित सुरेश नीरव, भरत चतुर्वेदी, उदय प्रताप सिंह्, अरविन्द चतुर्वेदी
चित्र 2: सम्मान पुरस्कार प्राप्त करते हुए डा.अतुल जैन ,शिक्षाविद्
चित्र 3: वीर रस के कवि अरविन्द पथिक् का कविता पाठ
चित्र 4: सम्मान पुरस्कार प्राप्त करते हुए वीनू सचदेवा
चित्र 5: मंच पर गरिमामय उपस्थिति
चित्र 6: उपस्थित काव्य रसिक जन
चित्र 7: डा. वालिया का स्वागत
चित्र 8:अरविन्द चतुर्वेदी का कविता पाठ्

Tuesday 25 September 2007

तुम हो पहरेदार चमन के




राजनीति और साहित्य दो अलग अलग धारायें है. बहुत कम लोग ही मुझे मिले हैं जिनका दोनों से ही सम्बन्ध है. प्रो. उदय प्रताप सिंह एक ऐसी ही शख्सियत हैं समाज्वादी पार्टी के सांसद है. लोकसभा व राज्यसभा दोनो में रहे हैं. पिछले 18-19 वर्षों से सक्रिय राजनीति में हैं.
प्रो. उदय प्रताप सिंह का कविता से पुराना सम्बन्ध है. अध्यापक रहे हैं.पिछले 40-50 वर्षों से लगातार लिखते आ रहे हैं.मेरी प्रोफेसर उदय प्रताप जी से जान-पहचान लग्भग 17 वर्षों से है. फिलहाल मैं राजनीति में सक्रिय नहीं हूं फिर भी साहित्यिक,सांसकृतिक कार्यक्रमों में मुलाक़ात हो ही जाती है.
पिछले 11 अगस्त को मेरी संस्था " अक्ष" की ओर से एक साहित्यिक आयोजन था,जिसमें पुस्तक के लोकार्पण के अतिरिक्त लघु कवि सम्मेलन भी था. उदय प्रताप् जी आमंत्रित थे.उन्होने देशभक्ति से ओत-प्रोत एक रचना पढी जिसमे उन्होने चन्द्र शेखर आज़ाद की जनम्स्थली बदरका को प्रणाम कहा.मेरे विशेष अनुरोध पर उन्होने एक रचना पढी, जिसका सम्बन्ध लोकतंत्र की पहरेदारी से है. लोकतंत्र में जनता का एक सजग् प्रहरी के रूप में जो दायित्व है,उसी को रेखांकित करती है ये कविता.
उदय प्रताप सिंह जी की अनुमति लेकर यहां यह कविता संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत है:


ऐसे नहीं जागकर बैठो तुम हो पहरेदार चमन के ,
चिंता क्या है सोने दो यदि सोते हैं सरदार चमन के.
वैसे भी ये बड़े लोग हैं, अक्सर धूप चढ़े जगते हैं
व्यवहारों से कहीं अधिक तस्वीरों में अच्छे लगते हैं
इनका है इतिहास गवाही जैसे सोये वैसे जागे
इनके स्वार्थ सचिव चलते हैं नई सुबह के रथ के आगे
माना कल तक तुम सोये थे लेकिन ये तो जाग रहे थे
फिर भी कहां चले जाते थे ,जाने सब उपहार चमन के
ऐसे नहीं जागकर बैठो.......


जिनको आदत है सोने की उपवन की अनुकूल हवा में
उनका अस्थिशेष भी उड जाता है बनकर धूल हवा में
लेकिन जो संघर्षों का सुख सिरहाने रखकर सोते हैं
युग के अंगडाई लेने पर वे ही पैगम्बर होते हैं
जो अपने को बीज बनाकर मिट्टी में मिलना सीखे हैं
सदियों तक उनके सांचे में धलते हैं व्यवहार चमन के
ऐसे नहीं जागकर बैठो......


यह आवश्यक नहीं कि कल भी होगी ऐसी बात चमन में
ऐन बहारों में ठहरी है कांटों की बारात चमन में
कल की आने वाली कलियां पिछले खाते जमा करेंगी
तब इन कागज़ के फूलों की गलती कैसे क्षमा करेंगी
उस पर मेरी क़लम गवाही बिना सत्य के कुछ ना कहेगी
केवल बातों के सिक्के से चलते थे व्यापार चमन के
ऐसे नहीं जागकर बैठो...

( समारोह की पूरी रपट लग से एक पोस्ट में दी जायेगी)

चित्र 1 :मंच पर श्री उदय प्रताप सिंह का स्वागत्
चित्र 2:कार्यक्रम में सर्व श्री प.सुरेश नीरव ( मुख्य कौपी सम्पादक, कादम्बिनी),भरत चतुर्वेदी, उदय प्रताप सिंह एवम अरविन्द चतुर्वेदी ( अध्यक्ष 'अक्ष' )

Tuesday 11 September 2007

एम एम टी सी की कार्य शाला

अभी अभी यह ब्लौग खोला गया है. कार्य शाला में भाग लेने वालों के सामने