Saturday 29 September 2012

ग़णेशोत्सव पर कवि सम्मेलन सम्पन्न


प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी गणेशोत्सव के दौरान राजधानी दिल्ली के द्वारका उपनगर में कवि सम्मेलन आयोजित  किया गया.

 

महाराष्ट्र मित्र मंडल के तत्वावधान में आयोजित इस कवि सम्मेलन का सफल संचालन लब्ध्प्रतिष्ठ कवियित्री डा. कीर्ति काले ने किया. क़वि सम्मेलन के मुख्य अतिथि पूर्व सी बी आई निदेशक श्री जोगिन्दर सिंह थे व विशिष्ट अतिथि विधायक करण सिंह तंवर  थे.



कवि सम्मेलन का प्रारम्भ कीर्ति काले की सरस्वती वन्दना के साथ हुआ. इसके बाद ओज के कवि रमेश गंगेले अनंत जी ने वर्तमान राजनैतिक व्यवस्था पर चुटीले काव्यात्मक प्रहार किये.उन्होने संसद ठप्प होने पर प्रश्न उठाते हुए नेताओं की भी खबर ली. तदुपरांत डा.अरविन्द चतुर्वेदी ने अपनी हास्य गज़ल के साथ ताज़ा रूमानी गज़लों के सस्वर पाठ से श्रोताओं की वाह वाही लूटी.



अलवर से पधारे ब्रज भाषा के सशक्त हस्ताक्षर डा. रमेश बांसुरी ने अपनी  ब्रज भाषा के छंदों के साथ साथ अपनी प्रसिद्ध रचना “सोने की होती तो का करती ,अभिमान करै देखो बांस की जाई” सुनाकर उपस्थित समुदाय का दिल जीत लिया.

हास्य-व्यंग्य  के प्रसिद्ध कवि भोपाल से पधारे उमेश उपध्याय जी ने हास्य रचनाओं के साथ अपनी प्रतिनिधि रचना “ शास्त्रीय संगीत सम्मेलन उर्फ बाजू-बन्ध खुल खुल जाय”  प्रस्तुत की.

 

इसके बाद कवि सम्मेलन में समां बान्धने हेतु डा. कीर्ति काले ने जिम्मेदारी सम्भाली तथा मधुर गीतों की बौछार से आमंत्रित जनता को रसाविभोर कर दिया. उनकी रचनायें –‘ ऐसा सम्बन्ध जिया मैने,जिसमें कोई अनुबन्ध नहीं” तथा  ‘ फिर हृदय के एक कोने से कोई कुछ बोल जाता है” बहुत सराही गयी.

 

अंत में जयपुर से आये वरिष्ठ कवि सुरेन्द्र दुबे ने एक के बाद एक हास्य व्यंग्य की रचनाओं से मध्य रात्रि तक श्रोताओं को  बान्धे रखा.

 

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Friday 25 May 2012


महंगौ है गऔ तेल  

फिर तें महंगौ है गऔ तेल, कार में अब नांय बैठौंगो  अब नांय बैठौंगो , कार में अब नांय बैठौंगो फिर तें महंगौ है गऔ तेल, कार में अब नांय बैठौंगौ.

·         तेल कौ पैसा मोपे नांय,  अब हमें कौउ पूछत नांय, कार अब हमें सुहावत नांय                 देख देख कें कुढ़ों  जाय में कैंसे बैठौंगो ?

·फिर तें महंगौ है गऔ तेल, कार में अब नांय बैठौंगो



·         संग मेरे ठाड़ी गूजरिया, पहन के धानी चूनरिया, के पिक्चर ले चल सांवरिया

·पैदल कैंसे जांऊ मैं पिक्चर  घर ई बैठौंगो,                                             फिर तें महंगौ है गऔ तेल, कार में अब नांय बैठौंगो                                                                                                                     

·         चीख रये सब टीवी अखबार, बढ़ गयी महंगाई दस बार, जे गूंगी बेहरी है सरकार             जनता बिल्कुल्ल है लाचार, देश में मच गऔ हाहाकार                                     दफ्तर मेरो दूर मैं, रस्ता कैसे पाटौंगौ ?

·फिर तें महंगौ है गऔ तेल, कार में अब नांय बैठौंगो



·          कि नेता मज़े करें दिन रात , विन्हे महंगाई नांय सतात, कीमतें फिर फिर हैं बढ़ जात,        अबकी बारी सोच लयौ है वोट ना डारोंगौ  

फिर तें महंगौ है गऔ तेल, कार में अब नांय बैठौंगो  अब नांय बैठौंगो,कार में अब नांय बैठौंगो  फिर तें महंगौ है गऔ तेल, कार में अब नांय बैठौंगौ.















Tuesday 14 February 2012

डा. स्वामी का जयपुर में भाषण

Feb 12, 2012 डॉ स्वामी बताते हैं की संस्कृति ही सामाजिक रचना का आधार है एवं भारतवर्ष की संस्कृति सबसे पुराचन, श्रेष्ठ एवं सिद्ध है । इसे सनातन धर्म भी कहते हैं । ८ सदियों के इस्लामिक एवं २ सदियों के ईसाई राज के होते हुए भी सनातनी संघर्ष करते रहे , तभी आज भारत में ८३ % सनातनी हैं । डॉ स्वामी देश के सनातनी, वीर पुत्रियों एवं पुत्रों के बारे में बताते हैं । उन्होंने देश के गौरवपूर्ण संस्कृति का एक व्याख्यान दिया ।

उन्होंने कहा की यदि भारत का विलुप्त मान इस विश्व में वापस लाना है तो सनातन धर्म को पुनर्जीवित करना पड़ेगा । इस देश में धर्म -निरपेक्षता ने हिन्दुओं के साथ पक्षपात मात्र किया है । यह हिन्दू संस्कृति ही भारत की पहचान है । डॉ स्वामी आरक्षण के विषय पे भी चर्चा करते हैं एवं बताते हैं की तुष्टिकरण की नीति ने इस व्यवस्था को विकृत कर दिया है । देश की बाकी समस्याओं पे चर्चा करते हुए डॉ स्वामी ने कश्मीर की बात की । आगे वो राम मंदिर की समस्या का भी हल सुझाते हैं ।डॉ स्वामी के पास देश के भविष्य को ले कर एक उत्तम दृष्टीकोण है जो देश के पुनरुत्थान के लिए आवश्यक है । व्याख्यान ख़त्म करते हुए उन्होंने २-जी के विषय पे भी व्यंग्य किया ।
http://www.youtube.com/watch?v=2E0u-_jAQUU

Tuesday 3 January 2012

नया वर्ष शुभ हो

हैप्पी न्यू ईयर 2012

नाचो गाओ मौज़ मनाओ हैप्पी न्यू ईयर
नया वर्ष है खुशी मनाओ हैप्पी न्यू ईयर

प्यार से सबको गले लगाओ हैप्पी न्यू ईयर
जो रूठा है उसे मनाओ हैप्पी न्यू ईयर

महंगा है पेट्रोल तो उसकी चिंता भी छोड़ो
पैदल पैदल ओफिस आओ हैप्पी न्यू ईयर

जो दफ्तर में काम है ज्यादा पूरा उसे करो
ओवर टाइम भूल भी जाओ हैप्पी न्यू ईयर

लोकपाल की चिंता तुम क्यों करते हो अन्ना
अनशन छोड़ो,जम कर खाओ हैप्पी न्यू ईयर

लड्डू पेड़ा महंगा, महंगी चौकलेट भी है
आधा आधा मिलकर खाओ हैप्पी न्यू ईयर

( रचयिता: डा. अरविन्द चतुर्वेदी)