Friday 21 March 2008

पंगेबाजी पर प्रतिबन्ध

हर कोई होली पर हुरिया जाता है. बडा हो या छोटा. खरा हो या खोटा ( खोता भी). दुबला हो या मोटा. घोटालेबाज हो या पंगेबाज. बस दूसरों की "की मत " पर मौज़ां ही मौज़ां लेना चाहता है.
समीर हो जाते हैं समीरा. वह रेड्डी- (या ready) हैं या नहीं ,ये तो खुद ही बतायेंगे .
par guru janataa to bharmaa hee jaatee hai naa!!!!

हम कहते है, पंगे लो, ज़रूर लो, पर यह सोच के मत लो कि लेना है.

पंगों का तो यूं होना चाहिये कि लिया लिया, ना लिया नालिया. ( वाह! वाह!! तालिया, तालिया).

पंगे लो, पर बता के मत लो कि ले रहे हैं ( छुप छुप के ले लो ना, बिना बताये)





देखो भैया जी, , हम थोडा बहुत हुरिया गये थे, इसलिये ये सब बकवास लिख मारी है.
पढो, पढो, ना पढो, तो ना पढो

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