
मोर के पखुअन कौ माथे पै मुकुट धारि
सांवली सलौनी छवि श्याम की सुहावती
आवती-औ-जावती मधु बन छावती
पल-पल प्रीत बन सांसन में धावती
मंद-मंद मुरली की तान सुनि भारती
आरती कान्हाजी की भारती उतारती
आरती उतारती रागिनी उचारती
मथुरा में जमुनाजी चरण पखारती
कर्म ही सुकर्म है यह सिद्ध करने के लिए
धर्म की सुरक्षा हेतु बने कृष्ण सारथी
आततायी उग्रवादी दानवों के वध हेतु
देवभूमि आज फिर कृष्ण को पुकारती।
पंडित सुरेश नीरव
( चित्र व रचना -साभार : जय लोक मंगल ब्लोग )